Mon. Jun 23rd, 2025
क्या क्या बदल जाएगा 2050 तक

2050 और उसके बाद हमारे जीवन की यात्रा कैसी होगी. AI का हमारी जीवन यात्रा पर क्या प्रभाव होगा. क्या हमारी उड़ाने प्रकृति के ज्यादा करीब हो पाएंगी. क्या हम जलवायु परिवर्तन को उलट पाएंगे. ज्यादातर लोगों को ये तो लगता है कि हम तेजी से विकास कर रहे हैं. लेकिन जा कहां रहे हैं और कहां पहुंचेंगे इसका हम अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं. हो सकता है 2050 तक हम नाटकीय परिवर्तन का दौर देख चुके हों. ये भी हो सकता है कि तब तक लोग मंगल गृह पर रहना शुरू भी कर चुके हों. ये तो पक्का है कि कुछ मायनों में आने वाले 25 सालों में दुनिया इतनी बदल चुकी होगी कि हम उसकी कल्पना भी नहीं कर पाए हैं. कम से कम एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने की हमारी यात्राओं की तकनीक तो बदल ही जाएगी. निश्चित रूप से हम अभी टाइम ट्रैवल की बात नहीं कर रहे हैं. क्योंकि इस कल्पना को साकार होने में अभी और वक्त लगेगा. हम सामान्य यातायात के साधनों की बात कर रहे हैं.

पानी और हवा में यात्रा

समुद्र में हम जिन जहाजों को तैरते देखते हैं उनकी उम्र 30 से 50 साल की होती है. ये जहाज तब तक पुराने हो चुके होंगे और उनके स्थान पर नए आधुनिक जहाज आ चुके होंगे. इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है. स्टार ऑफ द सीज़ एक मेगा-जहाज है, जो रॉयल कैरिबियन इंटरनेशनल द्वारा बनाया गया है और ये “आइकन” श्रेणी का दूसरा क्रूज़ जहाज होगा. ये जहाज 31 अगस्त, 2025 को अपनी पहली यात्रा शुरू करने की उम्मीद कर रहा है. ये जहाज अपने बहन-जहाज, आइकॉन ऑफ द सीज़ से भी बड़ा होगा और इसमें कई रोमांचक सुविधाएँ होंगी, जैसे कि समुद्र में सबसे बड़ा वाटरपार्क और एक निलंबित इनफिनिटी पूल.

हवा में हम जिन विमानों को इस समय उड़ते हुए देखते हैं उनकी भी उम्र 25 साल की होती है. इसके बाद ये और तेज़ हो जाएंगे. एयरबस का नया A321XLR लगभग उसी समय शुरू होने वाला है. लोकप्रिय A321neo पर आधारित, A321XLR एक पूरी तरह से अनुकूलित विमान है जो एयरलाइनों के लिए नए रोमांचक अवसर पैदा करने वाला है. 244 यात्रियों की अधिकतम बैठने की क्षमता के साथ 4,700 एनएम तक उड़ान भरने वाला यह विमान एयरलाइनों के लिए नए लंबी दूरी के मार्ग खोलने के लिए सबसे कम जोखिम वाला समाधान माना जा है. ये विमान लगातार 11 घंटों तक उड़ सकता है.

ये भी सच है कि तरक्की को कभी कभी पीछे लौटना पड़ता है. कॉनकॉर्ड की आखिरी उड़ान 21 साल पहले हुई थी. 25 जुलाई 2000 को एयर फ्रांस का कॉनकॉर्ड विमान न्यूयॉर्क की उड़ान पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 113 लोगों की मृत्यु हो गई थी. ये दुनिया का एकमात्र सुपरसोनिक यात्री विमान था और आवाज से दो गुना तेज उड़ता था.

चार में से एक व्यक्ति अफ्रीकी होगा

ऐसा माना जाता है कि कुछ मायनों में, 25 साल बाद की दुनिया बहुत अलग हो सकती है. 2050 तक, चार में से एक व्यक्ति अफ्रीकी होगा. क्योंकि अफ्रीका में पृथ्वी पर सबसे युवा और सबसे तेजी से बढ़ती आबादी है. अमेरिका की आबादी में श्वेत अल्पसंख्यक हो चुके होंगे ऐसा हो सकता है.

2050 तक चंद्रमा पर स्थायी खनन कार्य स्थापित किए जा सकते हैं, जिसका अर्थ है कि जैसे-जैसे मनुष्य चंद्रमा पर बस्तियाँ बसाएंगे, कुलीन व्यावसायिक यात्राएँ अंतर-आकाशगंगा बन जाएंगी.

बढ़ती गर्मी ने शायद तब तक दुनिया को गभगभ खत्म कर दिया होगा. पश्चिमी गोलार्ध में जिसे यूरोप के लोग ‘गर्मियों की छुट्टियां’ के रूप में जानते हैं, इसके बजाय, सर्दी वहां की यात्रा करने के लिए साल का सबसे अच्छा समय बन जाएगी.

उड़ने वाली टैक्सियाँ और इलेक्ट्रिक एयरशिप

2024 की शुरुआत में ज्यादातर लोग स्टीयरिंग व्हील के बिना कारों के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकते थे. फिर एलोन मस्क ने अपनी टेस्ला साइबरकैब का अनावरण किया. इस कार में कोई स्टीयरिंग व्हील नहीं है. स्व-चालित वेमो टैक्सियों पर विचार करना भी ज़रूरी है जो पहले से ही सैन फ्रांसिस्को की सड़कों पर यात्रियों को ले जा रही हैं.

इसी तरह, उड़ने वाली टैक्सियाँ अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में हो सकती हैं, लेकिन जॉबी एविएशन ने 2026 की शुरुआत में दुबई में उड़ने वाली टैक्सियों का संचालन शुरू करने की उम्मीद जताई है. इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर वैश्विक बदलाव तेजी से हो रहा है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ज्ञात कच्चे तेल का भंडारण 2050 तक खत्म हो जाएगा. तब हमारे शहरों की हवा बहुत साफ हो जाएगी.

ठंड निश्चित रूप से नई ‘गर्मी’ होगी

हर कोई जानना चाहता है कि यात्रा की वृद्धि पर्यावरण को कैसे प्रभावित करेगी? क्या हम सर्वनाश की ओर उड़ान भर रहे हैं? एयरलाइन व्यापार निकाय IATA यानि कि इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का अनुमान है कि अगले 15 सालों में अकेले वैश्विक हवाई यात्रियों की संख्या 2019 के लगभग 4 बिलियन से बढ़कर 2040 में 8 बिलियन तक यानि कि दोगुना हो जाएगा. इतनी बड़ी वृद्धि से बड़े नकारात्मक प्रभावों का खतरा हो सकता है.

2050 तक, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पृथ्वी पर जीवन में मूलभूत परिवर्तन हो सकता है, जिसका पारिस्थितिकी तंत्र, अर्थव्यवस्था और समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है. औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक बढ़ सकता है. ऐसा होने पर अधिक बार और अधिक गंभीर तूफान आ सकते हैं. सूखे और बाढ़ से संवेदनशील क्षेत्रों में तबाही मच सकती है. यदि अटलांटिक के पार विमानों को ले जाने में मदद करने वाली गल्फ स्ट्रीम टूट जाती है, तो पूरे यूरोप में तापमान गिर जाएगा.

जलवायु परिवर्तन

ध्रुवीय बर्फ की चोटियां और ग्लेशियर पिघलने से जैव विविधता का नुकसान तेजी से होगा. इसकी वजह से आवास विनाश के कारण कई प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडराने लगेगा. जलवायु पैटर्न में बदलाव के कारण कृषि उत्पादकता बाधित होगी. मीठे पानी के स्रोतों के खत्म होने से खाद्य और जल असुरक्षा बढ़ भी सकती है. समुद्र का जलस्तर 30 सेंटीमीटर या उससे अधिक होने की संभावना है. जकार्ता, मियामी और बांग्लादेश के कुछ हिस्से जैसे तटीय शहर डूब सकते हैं. ऐसा हुआ तो लाखों लोग विस्थापित हो सकते हैं और अभूतपूर्व शरणार्थी संकट पैदा हो सकता है.

हाई स्पीड रेल नेटवर्क

हाई-स्पीड रेल नेटवर्क और इलेक्ट्रिक वाहन इंफ्रास्ट्रक्चर छोटी दूरी की उड़ानों की जगह ले सकते हैं. जिससे निर्बाध, पर्यावरण-अनुकूल कनेक्शन बन सकते हैं. होटल और रिसॉर्ट पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा पर काम कर सकते हैं.

लोग और स्थान, क्या बदल रहा है?

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व की जनसंख्या 2024 में 8.2 बिलियन से बढ़कर 2050 तक 9.7 बिलियन हो जाने की उम्मीद है. जब आप ये विचार करते हैं कि सन 1800 में पृथ्वी पर केवल 1 बिलियन लोग थे, तो ये विशेष रूप से बड़ी वृद्धि है. जेनरेशन एक्स बुढ़ापे में होगी. इस समय के दौरान, जेनरेशन Z, जेनरेशन अल्फा और बीटा को जन्म देगी. जबकि जेनरेशन अल्फा के सबसे बुजुर्ग सदस्य जो इस समय 0-14 साल के हैं उनके अपने बच्चे होने लगेंगे. एक शोध का अनुमान है कि 2040 और 2054 के बीच पैदा होने वाले इन नए आगमनों को जेनरेशन गामा कहा जाएगा.

स्वास्थ्य यात्रा का भविष्य सुखद है

20वीं सदी के दौरान, औसत मानव जीवन काल में बहुत वृद्धि हुई है. सन 1900 में जन्मे बच्चों के लिए, उनकी जीवन प्रत्याशा लगभग 30 वर्ष थी, लेकिन 2021 तक ये 71 वर्ष हो गई. हालांकि ये तर्कसंगत लगता है कि विज्ञान और चिकित्सा में सफलताएं हमें लंबे समय तक जीने में मदद कर सकती हैं लेकिन अधिक स्वस्थ जीवन के लिए ये भी आवश्यक है कि हम अपना ज्यादा ध्यान रखें. दुर्भाग्य से, 21वीं सदी में, भूख से ज़्यादा लोग मोटापे से मर रहे हैं. और अमेरिका में, पहली बार, औसत जीवनकाल में गिरावट शुरू हो गई है.

एआई कितना बुद्धिमान होगा?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वर्चुअल रियलिटी के प्रभाव के बारे में सोचना ज़रूरी है. पिछले साल न्यूयॉर्क में स्किफ्ट ग्लोबल फोरम में, एयरबीएनबी के सीईओ ब्रायन चेस्की ने कहा था, “मुझे लगता है कि एआई दुनिया को किसी की कल्पना से कहीं ज़्यादा बदल देगा. मुझे ये भी लगता है कि इसमें जितना समय लग रहा है, उससे कहीं ज़्यादा समय लगेगा. इस दशक में चीजें उतनी नहीं बदलने वाली हैं जितनी लोग सोचते हैं. और अगले दशक में चीजें बहुत ज़्यादा बदलने वाली हैं.

अगले 25 वर्षों में, AI वैश्विक संस्कृतियों और अर्थव्यवस्था में गहराई से समाहित हो जाएगा. AI पर्दे के पीछे यात्रा के अनुभव के हर पहलू को शक्ति प्रदान करेगा. लोग वर्चुअल रियलिटी में सफारी से लेकर अंतरिक्ष यात्रा तक सब कुछ अनुभव कर सकेंगे.

भविष्य बुला रहा है

हालांकि मानवीय अनुभव कभी भी पुराने नहीं होंगे. हमें अपनी सोच को उत्तेजित करने और उन कार्यों को करने में सक्षम होने की आवश्यकता है जिन्हें करने का दावा AI करता है. एक ट्रैवल कंपनी ने जापान की दो नई तरह की यात्राएं शुरू की हैं. जहां आप बौद्ध भिक्षुओं के साथ समय बिता सकते हैं. इस तरह के अनुभव से आपको जो सीख मिलती है, वो अविश्वसनीय रूप से मूल्यवान है. आपको ये जानने का मौका मिलेगा कि आप अंदर से कौन हैं, अपनी भावनाओं को कैसे नियंत्रित करना है, और हम इंसान के तौर पर क्या हैं. ये कुछ ऐसा है जो AI नहीं कर सकता, न ही आपको दोहरा सकता है और न ही आपको सिखा सकता है.

साभार – ADVENTURE.COM

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