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बादल बदनाम क्यों हुआ

नीरा और सागर दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं. दोनों’ का वज़ूद भी एक दूसरे पर निर्भर है. नीरा के कारण ही सागर का धरती पर विशाल साम्राज्य है. पवन दोनों का दोस्त है. वो जब भी आता तीनों मिलकर खूब खुशियां मनाते. नीरा और सागर पवन को पकड़ने की कोशिश करते. पवन उनके हाथ नहीं आता. वो नीरा और सागर को छेड़ता. उनकी शक्ति को चुनौती देता. उन्हें उत्तेजित करता और दूर निकल जाता. नीरा, सागर और पवन का ये सारा खेल सूरज दूर से देखा करता. सूरज को उनका ये खेल बड़ा ही मजेदार लगता था. अपनी झूठी शान के कारण सूरज इस खेल में चाहकर भी शामिल नहीं होता था. कहते हैं कि लगातार दूर से दूसरों की खुशी देखने वाला कभी ना कभी कुंठित हो जाता है. नीरा, सागर और पवन के खेल से सूरज को कुंठा होने लगी. ये कुंठा उस सिद्धांत को जन्म देती है जिसे कहते हैं “ना खेलेंगे, ना खेलने देंगे”. कुंठित सूरज अब षडयंत्र करने लगा था.

नीरा का अपहरण

नीरा का अपहरण

सूरज लगातार यही सोचता रहता कि कैसे नीरा, सागर और पवन के खेल में व्यवधान उत्पन्न किया जाए. लगातार ऐसा सोचते रहने से उसकी सोच अब षडयंत्र का रूप ले चुकी थी. कुंठा क्रोध में बदल गई और क्रोध ने सूरज को अंधा कर दिया. गुस्से की आग में उबलते सूरज ने एक दिन नीरा का अपहरण कर लिया. सूरज ने सागर से नीरा को छीन तो लिया था पर वो उसे अपने पास नहीं रख सकता था. उसने बादल को बुलाया और बेहोश नीरा को उसके हवाले कर दिया. सूरज ने बादल से कहा कि वो नीरा को इतनी दूर ले जाए जहां से ये कभी लौटकर ना आ सके. बादल मुस्कुराया. उसे दूर देश का पता मालूम था. पर वहां तक वो अकेले नहीं जा सकता था. पवन बादल का भी दोस्त था. बादल ने पवन को बुलाया और उसे साथ चलने के लिए राज़ी कर लिया. बादल ने पवन को नीरा के बारे में कुछ भी नहीं बताया था. बेहोश नीरा को अपनी आगोश में लेकर बादल और पवन दूर देश के लिए निकल गए. वो नीरा को ऐसी जगह ले जा रहे थे जहां से उसका लौटना संभव नहीं था.

गिरिराज का अड़ंगा

गिरिराज का अड़ंगा

गिरिराज बहुत ही बलवान और लंबी-चौड़ी कद-काठी का था. वो जहां रहता एकदम अडिग रहता. उसका पार पाना हर किसी के लिए संभव नहीं था. सूरज भी गिरिराज के सामने कुछ नहीं था. गिरिराज में इतनी शक्ति थी कि वो सूरज के ताप को शितलता में बदल देता था. सूरज दुनिया को जला सकता था पर गिरिराज तो उसके तेज को ठंडक में बदल देता था. बादल और पवन को इस तरह तेजी से कहीं जाता देखकर गिरिराज को शक हुआ. उसने दोनों को रोक लिया. गिरिराज की बहुत प्रसिद्धि थी. बादल और पवन जानते थे कि गिरिराज से टक्कर लेना संभव नहीं है. गिरिराज के रोके जाने पर पवन तो तुरंत वहां से कट लिया. पवन के चले जाने पर बादल एकदम से असहाय हो गया. गिरिराज ने पूछताछ शुरू की तो बादल घबरा गया. उसने सारा सच उगल दिया. गिरिराज ने बादल को वहीं रोके रखा और नीरा को होश में लाने का प्रयास शुरू कर दिया. गिरिराज के पास वनस्पति औषधियों का अकूत भंडार था. नीरा को जल्दी ही होश आ जाने वाला था. बादल को पता था कि नीरा होश में आ गई तो वो सागर से मिलने के लिए व्याकुल हो उठेगी. और ऐसा ही हुआ.

नीरा का रौद्र रूप

नीरा का रौद्र रूप

गिरिराज की सेवा और औषधीय वनस्पतियों ने दो दिन में अपना असर दिखा दिया. नीरा होश में आ गई. वो एकदम ठीक हो गई. वनस्पति औधषियों के कारण उसमें और भी शक्ति आ गई. नीरा को सारा माजरा समझते देर नहीं लगी. उसने बादल का गिरेबान पकड़ा और उसे वहीं भंभोड़कर रख दिया. बादल फटा नहीं था, बादल की फट गई थी. गुस्से से उफनती नीरा बादल के चंगुल से मुक्त हुई और अपने सागर से मिलने के लिए बेतहाशा दौड़ पड़ी. अपने प्रेमी से मिलने के लिए क्रोधित नीरा इतनी व्याकुल थी कि उसे अपनी मर्यादाओं का ज़रा भी खयाल नहीं रहा. दो किनारों रूपी मर्यादा में बहने वाली गंगा, जमुना, सतुलज, व्यास, चिनाब और सरयू जैसी उसकी कई बहनें नीरा को रास्ता बताने के लिए तैयार थीं. लेकिन नीरा को तो किसी की भी परवाह नहीं थी. रास्ते में जो जहां जैसे मिला नीरा ने सबको बर्बाद कर दिया. उसे चिंता थी कि उसके बिना सागर क्या कर रहा होगा. पवन से भी तेज़ गति में तबाही बरपाती नीरा सागर से मिलने के लिए दौड़ी चली जा रही थी.

मूक मानव तटस्थ रहा

मूक मानव तटस्थ रहा

मानव सब कुछ देख रहा था. सब कुछ समझ रहा था. उसने नीरा, सागर और पवन का खेल देखा था. उसने सूरज को कुढ़ते हुए देखा था. उसने नीरा का अपहरण होते देखा था. उसने बादल और पवन की गठजोड़ देखी थी. उसने गिरिराज का क्रोध देखा था. और अब नीरा का रौद्र रूप देख रहा था. व्याकुल प्रेमिका का प्रेमी से मिलने के लिए तबाही बरपाना देख रहा था. मानव को सबकुछ पता था. उसे पता था कि करनी किसकी है और भरनी किसे है. मानव बहुत चालाक है. उसे इस पूरे मामले की ज़िम्मेदारी तय करनी है. उसने देखा कि बाकी सब तो रहेंगे. एक बादल ही है जो गायब है. मानव ने सारा ठिकरा बादल पर फोड़ दिया. उसने जोर जोर से कहना शुरू कर दिया कि बादल फट गया, बादल फट गया.

मलय बनर्जी

लेखक – मलय बनर्जी

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